सहकारिता
पंचायत चुनाव का
कार्यक्रम घोषित, चार चरणों में
12,9,79 पदों के लिए होगा
महासंग्राम
शाहजहांपुर, 20
सितम्बर। (उप्रससे)। त्रिस्तरीय
पंचायत चुनाव के लिए अधिसूचना जारी
करते हुए जिला निर्वाचन अधिकारी
ने चुनाव कार्यक्रमों की घोषित कर
दिया है। 12,9,79 पदों के लिए चार
चरणों में वोट डाले जाएंगे। जिसमें
ग्राम पंचायत सदस्य 11,050, ग्राम
पंचायत प्रधान 922, क्षेत्र
पंचायत सदस्य 968, जिला पंचायत
सदस्य 39 होगें। इसके लिए 11, 14,
20 और 25 अक्टूबर की तिथि तय की
गई है। 23 सितंबर से शुरू होकर 30
अक्टूबर तक चुनाव प्रक्रिया चलेगी।
सभी चरणों की मतगणना एक साथ 30
अक्टूबर को होगी।
घोषित कार्यक्रम
के अनुसार पहले चरण में पुवायां
तहसील के बंडा, खुटार, पुवायां व
सिंधौली ब्लाक में चुनाव होगा।
इसके लिए नामांकन 23 से 25 सितंबर
तक सुबह आठ बजे से अपराह्न चार बजे
तक होगा। नामांकन पत्रों की जांच
26 से 27 सितंबर तक होगी। नाम
वापसी 28 से 29 सितंबर तक सुबह आठ
से दोपहर बाद तीन बजे तक हो सकेगी।
29 सितंबर को ही तीन बजे के बाद
चुनाव चिन्ह आवंटित होंगे। मतदान
11 अक्टूबर को सुबह सात से शाम
पांच बजे तक चलेगा।दूसरे चरण में
सदर तहसील के भावलखेड़ा, ददरौल,
कांट व मदनापुर ब्लाक में चुनाव
होगा। इसके लिए नामांकन 26 से 28
सितंबर को सुबह आठ से अपराह्न चार
बजे तक होंगे। नामांकन पत्रों की
जांच 29 से 30 सितंबर तक होगी।
नाम वापसी एक अक्टूबर से तीन
अक्टूबर तक सुबह आठ से दोपहर बाद
तीन बजे तक हो सकेगी। तीन अक्टूबर
को ही तीन बजे के बाद चुनाव चिन्ह
आवंटित होंगे। मतदान 14 अक्टूबर
को सुबह सात से शाम पांच बजे तक
चलेगा।
तीसरे चरण में
तिलहर तहसील के जैतीपुर, खुदागंज,
निगोही व तिलहर ब्लाक में चुनाव
होगा। इसके लिए नामांकन 30 सितंबर
से तीन अक्टूबर को सुबह आठ से
अपराह्न चार बजे तक होंगे।
नामांकन पत्रों की जांच चार से
पांच अक्टूबर तक होगी। नाम वापसी
छह अक्टूबर से सात अक्टूबर तक
सुबह आठ से दोपहर बाद तीन बजे तक
हो सकेगी। सात अक्टूबर को ही तीन
बजे के बाद चुनाव चिन्ह आवंटित
होंगे। मतदान 20 अक्टूबर को सुबह
सात से शाम पांच बजे तक चलेगा।
चौथे व अंतिम चरण
में जलालाबाद तहसील के जलालाबाद,
मिर्जापुर व कलान ब्लाक में चुनाव
होगा। इसके लिए नामांकन चार से छह
अक्टूबर को सुबह आठ से अपराह्न
चार बजे तक होंगे। नामांकन पत्रों
की जांच सात से 10 अक्टूबर तक होगी।
नाम वापसी 11 से 12 अक्टूबर तक
सुबह आठ से दोपहर बाद तीन बजे तक
हो सकेगी। 12 अक्टूबर को ही तीन
बजे के बाद चुनाव चिन्ह आवंटित
होंगे। मतदान 25 अक्टूबर को सुबह
सात से शाम पांच बजे तक चलेगा।
जिला निर्वाचन
अधिकारी ने कहा है कि दो अक्टूबर
गांधी जयंती, आठ अक्टूबर महाराजा
अग्रसेन जयंती व नौ अक्टूबर
कांशीराम निर्वाण दिवस पर चुनाव
संबंधी कोई कार्यवाही नहीं की
जाएगी। ग्राम पंचायत सदस्यों,
प्रधान, क्षेत्र पंचायत के सदस्य
पद के लिए नामांकन प्रक्रिया
संबंधित ब्लाक मुख्यालय पर होगी।
इसी तरह जिला पंचायत सदस्यों के
नामांकन की प्रक्रिया जिला पंचायत
मुख्यालय पर होगी। वोटों की गिनती
ब्लाक मुख्यालय पर निर्धारित
स्थान पर होगी। जिला पंचायत सदस्य
को छोड़ अन्य पदों के लिए परिणामों
की घोषणा संबंधित ब्लाक मुख्यालय
पर होगी। जिला पंचायत सदस्य के
परिणाम जिला पंचायत मुख्यालय पर
घोषित होंगे। हालांकि इनके मतों
की गिनती संबंधित ब्लाक मुख्यालय
पर ही होगी।
भाजपा पंचायत
चुनाव की अधिसूचना जारी, प्रदेश
में आचार संहिता लागू
लखनऊ, 16 सितम्बर।
(उप्रससे)। राय में त्रिस्तरीय
पंचायत चुनावों के लिए आज राय
सरकार और राय निर्वाचन आयोग ने
अधिसूचना जारी कर दी । अधिसूचना
जनपद एटा और कांशीराम नगर को
छोडकर जारी की गई है। निर्वाचन की
प्रक्रिया 31 अक्टूबर को पूर्ण
होगी अधिसूचना जारी होने के साथ
ही पूरे प्रदेश में आदर्श आचार
संहिता लागू हो गयी है।
प्रदेश सरकार ने
राज्य निर्वाचन आयोग के परामर्श
से, राज्य में (जनपद-एटा एवं
कांशीराम नगर को छोड़कर) ग्राम
प्रधान और ग्राम पंचायतों के
सदस्यों, क्षेत्रपंचायत के सदस्यों
और जिला पंचायतों के सदस्यों के
पदों के सामान्य निर्वाचन, 2010
हेतु 23 सितम्बर, 2010 से 30
अक्टूबर, 2010 तक की तिथि तय की
है। ज्ञातव्य है कि संविधान के
अनुच्छेद 243-ट के खण्ड (1) और
संयुक्त प्रान्त पंचायत राज
अधिनियम-1947 (संयुक्त प्रान्त
अधिनियम संख्या-26, सन् 1947) की
धारा 12-ख ख की उपधारा (3) एवं
उत्तर प्रदेश क्षेत्र पंचायत तथा
जिला पंचायत अधिनियम, 1961 (उत्तर
प्रदेश अधिनियम संख्या-33, सन्
1961) की धारा 264ख की उपधारा (3)
के अधीन शक्ति का प्रयोग करके
राज्य सरकार ने त्रिस्तरीय पंचायत
निर्वाचन की अधिसूचना जारी की
है। राय सरकार द्वारा
अधिसूचना जारी करने के साथ ही
राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त
राजेन्द्र भौनवाल ने त्रिस्तरीय
पंचायत सामान्य निर्वाचन 2010 की
अधिसूचना आज यहां जारी कर दी।
अधिसूचना के अनुसार चुनाव चार चो
में होंगे। प्रदेश के समस्त जिला
पंचायत सदस्यों एवं क्षेत्र
पंचायत सदस्यों (जनपद-एटा एवं
कॉशीराम नगर को छोड़कर) तथा समस्त
ग्राम पंचायत सदस्यों एवं उनके
प्रधानों (जनपद एटा, कॉशीराम नगर
तथा जिन ग्राम पंचायतों का
कार्यकाल 6 माह से अधिक समय का है
उन्हें छोड़कर) के चुनाव हेतु
प्रथम च में नामांकन आगामी 23 से
25 सितम्बर तक, नामांकन पत्रों की
जाँच 25 सितम्बर से 27 सितम्बर
नाम वापिसी 28 से 29 सितम्बर तक
तथा प्रतीक आवंटन 29 सितम्बर को
और मतदान 11 अक्टूबर को होगा।
द्वितीय
च का नामाँकन 26 से 28 सितमबर,
नामपत्रों की जाँच 29 से 30
सितम्बर, नाम वापसी 01 से 3
अक्टूबर, प्रतीक आवंटन 03 अक्टूबर
तथा मतदान 14 अक्टूबर को होगा।
तृतीय च में नामांकन 30 सितम्बर
से 03 अक्टूबर नामांकन पत्रों की
जाँच 4 से 5 अक्टूबर नाम वापसी 6
से 7 अक्टूबर, प्रतीक आवंटन 7
अक्टूबर तथा 20 अक्टूबर को मतदान
होगा।
चतुर्थ
च में नामांकन 4 से 6 अक्टूबर,
नामांकन की जाँच 7 से 10 अक्टूबर
नाम वापिसी 11 से 12 अक्टूबर,
प्रतीक आवंटन 12 अक्टूबर तथा
मतदान 25 अक्टूबर को होगा। सभी
चों के समस्त ग्राम पंचायत सदस्यों
तथा उनके प्रधानों की मतगणना 28
अक्टूबर को होगी। इसी तरह समस्त
क्षेत्र पंचायत सदस्यों तथा जिला
पंचायत सदस्यों की मतगणना 30
अक्टूबर को होगी। अधिसूचना जारी
होने के साथ ही पूरे प्रदेश में
आदर्श आचार संहिता लागू हो गयी
है।
सितम्बर-अक्टूबर
में होगा लोकतंत्र का महापर्व
उ.प्र.में पंचायत चुनाव 23
सितम्बर से
U.P. Panchayat election to be
start by Sep. 23
Lucknow, August 28,2010. Uttar
Pradesh Samachar Sewa- UPSS -
U.P.Web News-Indian Rural News
Agency-IRNA-NEWS
लखनऊ, 28 अगस्त। (उप्रससे)।
भारत दुनिया का सबसे बडा लोकतंत्र
है। इस लोक तंत्र की जड़ें हमारी
पंचायतों में हैं। जहां से
लोकतांत्रिक प्रणाली की आधारशिला
मजबूत होती है। पंचायतों में
प्रशिक्षण प्राप्त करके ही
जनप्रतिनिधि विकास और सत्ता में
भागीदारी के वास्तिवक लोकतांत्रिक
उद्देश्य की ओर बढ़ते हैं। उत्तर
प्रदेश में इन पंचायतों के
निर्वाचन का कार्यक्रम अगले महीने
से शुरु होगा। इसमें लगभग सात लाख
जनप्रतिनिधियों का चुनाव होगा और
करीब 12 करोड़ मतदाता अपने
मताधिकार का प्रयोग करेंगे।
प्रदेश में यह निर्वाचन लोकतंत्र
का महापर्व होगा। निर्वाचन
प्रक्रिया सितम्बर-अक्टूबर में
सम्पन्न होगी। इसके बाद नये ग्राम
प्रधान, पंचायत सदस्य, क्षेत्र और
जिला पंचायत सदस्य कार्य आरम्भ
करेंगे।
राय
निर्वाचन आयोग और पंचायती राज
विभाग पिछले करीब छह माह से
पंचायत चुनाव की तैयारियां कर रहा
है। इसके लिए मतदाता सूचियों का
निर्माण कर उनका प्रकाशन, मतदान
स्थलों का चयन, मतदान में लगने
वाले कर्मचारियों का प्रशिक्षण,
पंचायतों में आरक्षण का कार्य
पूरे किये गए। इसमें सबसे कठिन
कार्य आरक्षण कार्य था। इसे
पंचायती राज विभाग ने समय से पूरा
कर लिया। ज्ञातव्य है कि इस चुनाव
में आरक्षण के कारण लगभग 50
प्रतिशत पद महिलाओं के लिए
आरक्षित किये गए हैं। अब निर्वाचन
की सभी तैयारियां पूरी करने के
बाद शीघ्र ही अधिसूचना जारी होगी।
क्योंकि पंचायतराज विभाग ने 26
अगस्त को पंचायत निर्वाचन के
कार्यक्रम को स्वीकृति प्रदान कर
दी है। अब इसे मंत्रिपरिषद् के
समक्ष स्वीकृति के लिए प्रस्तुत
किया जाएगा।
इस कार्यक्रम के
अनुसार 16 सितम्बर को राय सरकार
अधिसूचना जारी कर देगी। फिर 17
सितम्बर को राय निर्वाचन आयोग और
18 सितम्बर को जिलाधिकारी अधिसूचना
जारी करेंगे। चुनाव चार चरणों में
कराये जाएंगे। पहले चरण के लिए
नामांकन पत्र 23 से 25 सितम्बर,
दूसरे चरण के लिए 26 से 28
सितम्बर, तीसरे चरण के लिए 30
सितम्बर से 3 अक्टूबर तथा चौथे
चरण के लिए 4 से 6 अक्टूबर तक
दाखिल होंगे। मतदान पहले चरण का
11 अक्टूबर, दूसरे चरण का 14
अक्टूबर, तीसरे चरण का 20 अक्टूबर
तथा चौथे चरण का 25 अक्टूबर को
होगा। मतगणना 28 व 30 अक्टूबर को
होगी। पूरे चुनाव की प्रक्रिया 31
अक्टूबर तक पूरी कर ली जाएगी।
पंचायत
चुनाव में प्रदेश में 51,921
ग्राम प्रधान, 6,41,441 ग्राम
पंचायत सदस्य, 63,701 क्षेत्र
पंचायत सदस्य तथा 2,622 जिला
पंचायत सदस्यों का निर्वाचन होगा।
इन्हें चुनने के लिए करीब 12 करोड़
मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग
करेंगे। राय निर्वाचन आयोग ने
72,560 मतदान केन्द्र तथा
1,77,283 मतदेय स्थल बनाये हैं।
बेघर हैं एक ग्राम प्रधान
उत्तर प्रदेश के बरेली जनपद की आंवला तहसील के एक गांव के
प्रधान ऐसे भी हैं जिनके पास रहने को न तो घर है और न ही कोई स्थायी रोजगार। यह
प्रधान गांव के बाहर डेरा लगाकर रहते हैं तथा दिन भर ग्रामीणों की समस्याओं का
निदान करते हैं। मझगवां ब्लाक के समग्र ग्राम इस्माइल के प्रधान बाज नट जाति के हैं
इनका पुस्तैनी पेशा कलाबाजी करना था, किन्तु प्रधान बनने के बाद से यह भी छूट गया
है। इनके पास पहले से ही रहने को घर नहीं था। इसलिए इन्होंने गांव के बाहर डेरा लगा
रखा है। उसी में अपने परिवार के साथ रहते हैं। दूसरों को इन्दिरा आवास और खेती के
लिए पट्टे देने के लिए अधिकृत ग्राम प्रधान खुद बेघर और भूमिहीन है। हालांकि बे
चाहते हैं कि किसी योजना में उन्हें एक अदद घर मिल जाए और कुछ खेती बाड़ी के लिए
भूमि ताकि वे भी अपने परिवार का भरण पोषण ठीक से कर सकें। उनका एक बेटा स्कूल जाता
है उसे वे अच्छी शिक्षा दिलाना चाहते हैं। (फीरोज रजा - आंवला, बरेली)
वैद्यनाथन समिति की सिफारिशें लागू करने पर केन्द्र व राज्यों
में सहमति की संभावना बनी
केन्द्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) ने वर्ष 2007-2008
के दौरान सहकारी क्षेत्र के लिए 3652 करोड़ रूपये की सहायता जारी की और इसने
अपने लक्ष्य 2000 करोड़ की सहायता जारी करने के लिए लक्ष्य का पार कर लिया।
एनसीडीसी की 130 करोड़ रूपये की कर पूर्व लाभ अर्जित करने की आशा है जोकि पिछले
वर्ष की तुलना में बहुत अधिक है। यह जानकारी भारत सरकार के केन्द्रीय कृषि,
उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री शरद पवार ने एनसीडीसी
की 66 वीं आम परिषद् की बैठक में दी। कृषि मंत्री ने कहा बताया कि सहकारी
दीर्घावधि ऋण संरचना को पुनः लागू करने के संबंध में गठित प्रो.वैद्यनाथन समिति
की रिपोर्ट को लागू करने के लिए केन्द्र तथा राज्य सरकारें एक समझौते पर पहुंच
गई हैं। इस पैकेज को पूरा करने के लिए 3074 करोड़ रूपये का खर्च आने का अनुमान
है। इसमें केन्द्र सरकार 2462 करोड़ रूपये यानि 86 प्रतिशत का बोझ वहन करेगी।
श्री पवार ने कहा कि सरकार ने कहा कि भारत सरकार ने किसानों का 71680 करोड़
रूपये का कर्ज माफ किया है तथा ऋण राहत योजना लागू की है।यह योजना देश आजाद होने
के बाद अपने आप में पहली ऐसी योजना है, जिसमें 4 करोड़ 30 लाख किसानों को लाभ
होगा। सरकार ने 18 राज्यों के 237 जिलों की भी पहचान की है, जहां पर उत्पादन
बहुत कम है। क्योंकि वहां सूखा पड़ने का खतरा है और वे रेगिस्तानी क्षेत्र में
स्थित हैं। इन इलाकों में हरेक किसान कम से कम 20 हजार रूपये की कर्ज माफी का
पात्र है। चाहे उसके पास 2 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन क्यों न हो। उन्होने
बताया कि सरकार ने किसानों के आत्महत्या संभावित जिलों के लिए 16979 करोड़
रूपये के पुनर्वास पैकेज की घोषणा की है। उन्होंने बताया कि देश में सभी
प्रमुख फसलों के उत्पादन में वृद्धि हुई है तथा 2007-2008 में कृषि विकास दर
4.3 प्रतिशत के आसपास रहने की उम्मीद है। श्री पवार ने कहा कि उच्च कृषि विकास
से सकल घरेलू विकास की दर 9 प्रतिशत तक पहुंचेगी जोकि पहले 8.7 प्रतिशत
अनुमानित की गई थी। (साभारः पीआईबी)
पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों में क्षमता विकास के
लिए प्रशिक्षण की महत्ता
- अनुपमा वी.चन्द्रा ( उपनिदेशक-मीडिया एवं संचार, पीआईबी)
राष्ट्रीय तथा राज्य स्तरीय अनेक मंचों पर पंचायती राज
संस्थाओं में निर्वाचित प्रतिनिधियों और स्थानीय प्रशासन में कार्यशील कर्मचारियों
को क्षमता विकास सहायता उपलब्ध कराने की जरूरत पर जोर दिया गया है। अभी हाल ही
में जिला तथा मध्यवर्ती पंचायतों के अध्यक्षों का दिल्ली में एक तीन दिवसीय
सम्मेलन आयोजित किया गया। इसमे 26 राज्यों एवं सघ शासित क्षेत्रों के 8 हजार से
अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस अवसर पर दो रिपोर्ट भी जारी की गई थी। एक
रिपोर्ट दि स्टेट आफ पंचायत्स 2007-2008 थी जिसे प्रधानमंत्री डा.मनमोहन सिंह
ने जारी किया। दूसरी रिपोर्ट पंचायती राज संस्थाओं में निर्वाचित महिला
प्रतिनिधियों पर अध्ययन थी। इस रिपोर्ट को यूपीए अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी
ने जारी किया। इस अध्ययन में कहा गया है कि बेहतर प्रशिक्षण, निर्वाचित महिला
प्रतिनिधियों के कार्य प्रदर्शन में एक प्रमुख तत्व के रूप में उभरकर सामने आया
है। जिन महिलाओं ने प्रशिक्षण लिया है उन्होंने अपने क्षेत्र में बेहतर कार्य
का प्रदर्शन किया है। अतः इस बात की भी शिफारिश की गई है कि न केवल निर्वाचित
प्रतिनिधियों के लिए इसे अनिवार्य किया जाए बल्कि इसे नियमित रूप से आयोजित भी
किया जाना चाहिए। उसकी बहुपक्षीय विस्तार हो जिसमें नियम-विनियम, बजट एवं वित्त
और विकास योजनाओं का कार्यान्वयन भी हो। क्षमता विकास प्रशिक्षण के लिए मुख्य
तर्क इस प्रकार हैं-मौजूदा सामाजिक असमानताओं में यह अनिवार्य है कि महिलाओं,
अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजातियों को पिछड़ेपन से लड़ने के लिए सहायता दी
जाए और आत्मविश्वास के साथ स्थानीय प्रशासन में भागीदारी के लिए उन्हें
सक्षम बनाया जाए। प्रशिक्षण तथा क्षमता विकास पहलों से वे न केवल अपने घरों से
बाहर आयेंगीं बल्कि इसके जरिये वे बेहतर भागीदारी के लिए सक्षम हो सकेंगीं।
हमें इस बात को भी अपने दिमाग में रखना है कि स्थानीय
प्रशासन व्यवस्था में भाग लेने वाले बड़ी संख्या में हैं जो पहली बार इसमें भाग
ले रहे हैं। अतः उनके कौशल अनुभव को बढ़ाने की बेहद जरूरत है, और उन्हें
आवश्यक एवं उचित सूचना मुहैया कराई जाए तथा उन्हें ताजा जानकारी से लगातार अवगत
कराया जाता रहे। 73 वें संविधान संशोधन की भावना के दायरे में ही स्थानीय
प्रशासन व्यवस्था का स्थिरीकरण करते हुए स्थानीय नेतृत्व के सृजन के लिए
क्षमता विकास प्रयासों की भी जरूरत है, जो असमानता तथा अन्याय में परिवर्तन लाये
जोकि अभी देश में मौजूद है। साथ ही इसी समय अधिकतर सरकारी अधिकारियों के लिए
शक्तियों का अधोहस्तांरण एक नई अवधारणा है। विकेन्द्रीकरण तथा शक्तियों का
अधोहस्तांरण के कार्य करने के विभिन्न तरीकों की जरूरत है और उनके व्यवहार तथा
दृष्टिकोण में परिवर्तन लान के लिए प्रशिक्षण की भी जरूरत है। ताकि वे स्थानीय
प्रशासन कार्य को प्रभावी बना सके। विकेन्द्रीकरण तथा शक्तियों का अधोहस्तांरण
को गरीबी उपशमन,सीमान्त वर्गों की भागीदारी को बढ़ाने के लिए और स्थानीय स्तर
पर जवाबदेही तथा बड़ी जिम्मेदारियों को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक माना गया
है। विकेन्द्रीकरण के लिए गति बल, जोकि बहुपक्षीय तथा द्विपक्षीय संस्थाओं
द्वारा आगे बढ़ाया गया है, को बहुत माना गया है। यदि आवश्यक तकनीक शर्तें पूरी
कर दी गईं हों तो भागीदारी तथा जवाबदेही अपने आप ही आ जाएगी। हालांकि विद्वान
तथा कार्यकर्ता गवर्नेंस के मुद्दे पर कार्य कर रहे हैं। साथ ही साथ
महिलावादी लेखन तथा विचार ने विकेन्द्रीकरण के विश्वास को राज्य की संस्थाओं का
केवल तकनीकि पुनर्गठन मानने को चुनौती दी है। संस्थाओं मे लिंग विचारधारा के
आसपास ही सारी कवायद केंन्द्रित रहती है। जो इस बात को सिद्ध करती है कि किसी
भी संस्थागत प्रबंधन के लिए प्रक्रियाओं तथा लिंग एजेण्डा को प्राथमिकता प्रदान
की जा रही है। महिलाओं अनुसूचित जाति तथा अनूसूचित जनजाति के सदस्यों की
उपस्थिति की आशा अपने आप ही विकास विकास के एजेण्डा की तरफ ले जाएगी। इस बात को
भी समझना जरूरी है कि यहां पर अन्य परिस्थितियों के साथ-साथ किसी भी प्रकार का
महत्वपूर्ण परिवर्तन होना आवश्यक है। क्षमता विकास प्रक्रिया में यह भी
अपेक्षित है कि सरकारी नौकरशाही में ऊपर से लेकर निचले स्तर तक एक उचित
परिप्रेक्ष्य स्थापित किये जाने की जरूरत है।
पंचायत प्रतिनिधि प्रशिक्षण - केरल एक उदाहरण
केरल स्थानीय स्वशासन विभाग के अधीन एक स्वायत्त संस्थान
कार्य करता है जिसका नाम है केरल स्थानीय प्रशासन संस्थान (केआईएलए)। इस
संस्थान की स्थापना 1990 में प्रशिक्षण सुविधा, अनुसंधान, दस्तावेजीकरण और
स्थानीय प्रशासन के बारे में विचार विमर्श के लिए की गई थी। इसके अलावा यह
संस्थान विकेन्द्रीकरण के मुद्दे पर राष्ट्रीय तथा राज्य स्तर की कार्यशालाओं
और सेमिनारों का भी आयोजन करता है। यह संस्थान आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक, केरल और
तमिलनाडू के लिए क्षेत्रीय संसाधन केन्द्र है। जीवन के सभी पक्षों, जैसे आर्थिक,
सामाजिक,राजनीतिक तथा तकनीक आदि मे हो रहे परिवर्तनों को अपनी मान्यता देते हुए
केरल ने लोगों के विभिन्न् वर्गों को व्यापक प्रशिक्षण देने के लिए योजना बनाई
है। केआईएलए के प्रशिक्षण तथा क्षमता विकास प्रयासों को इस प्रकार से डिजाइन
किया गया है कि पूरी केरल विकास योजना के प्रति तार्किक एवं लगातार सहायता को
सुनिश्चित किया जा सके। केआईएलए राज्य सरकार और स्थानीय निकायो के साथ करीबी
स्तर पर मिलकर कार्य कर रहा है। विभिन्न कार्य वर्गों में भाग लेने वाले
प्रतिनिधियों से जो फीडबैक मिल रहा है उससे राज्य सरकार को नीतियों के
निर्माण में सहायता मिल रही है। स्थानीय शासन,तकनीकी सलाहकार समिति तथा तकनीकी
समिति के सदस्यों को जगह-जगह चलाए जा रहे प्रशिक्षण कार्यक्रमो में शामिल किया
जा रहा है। यह कार्य क्षेत्रीय, जिला तथा ब्लाक स्तर पर किया जा रहा है।
केआईएलए निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए स्थानीय प्रशासन पर एक 10 महीने का
प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाता है ताकि ये प्रतिनिधि तुच्छ राजनीति से ऊपर उठ सकें
और अपने कर्तव्यों का प्रभावी ढंग से निर्वहन कर सकें। इसे दूरस्थ एवं संपर्क
कार्यक्रम के रूप में डिजाइन किया गया है। इसमें परिसर से बाहर जाकर
अध्ययन करना तथा अनुसंधान कार्य भी शामिल है। जो लोग यहा प्रशिक्षण पूरा कर लेते
हैं उन्हें विभिन्न स्तरों पर तकनीकी सलाहकार समितियों के सदस्यों के रूप में
तथा वरिष्ठ प्रशिक्षक के रूप में नियुक्त कर दिया जाता है।
केआईएलए प्रत्येक दो महीने में एक बार विकेन्द्रीकृत शासन
पर एक राष्ट्रीय स्तर का पाठ्यक्रम चलाता है। यह पाठ्यक्रम केरल में स्थानीय
निकायों की कार्यविधि के बारे में जानकारी प्राप्त करने का अवसर प्रदान
करता है। विभिन्न राज्यों के नीति निर्माता, अधिकारी और निर्वाचित सदस्य इन
कार्यक्रमों में नियमित रूप से भाग लेते हैं। यह विकेन्द्रीकरण पर राष्ट्रीय
एवं अन्तरराष्ट्रीय कार्यक्रम भी चलाता है। जिसमे सार्क देशों पाकिस्तान,
श्रीलंका, नेपाल और बंगलादेश के निर्वाचित प्रतिनिधि तथा अधिकारी शामिल होते
हैं। केरल में कम से कम दो सौ पंचायतें हैं, जिन्होंने अपने यहां अभिनव
कार्यक्रम चला रखे हैं। ऐसी पंचायतें जो विचारों , क्षमताओं, सेमिनारों,
कार्यशालाओं और अवसर के क्षेत्र में पिछड़ी हुई हैं, उन्हें प्रेरणा देने
था एक दूसरे से परिचित कराने के लिए उनका अच्छा प्रदर्शन कर रही पंचायतों के
साथ संपर्क बनाया जा रहा है। (साभारः पीआईबी)
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